गांव में स्वशासन व खुशहाली के लिए ग्राम पंचायत अपनी चुने हुए सदस्यों के बल पर एक संवैधानिक संस्था है इसलिए राज्यों के अधिनियमों तथा भारत सरकार की योजनाओं में वार्ड सदस्यों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है परंतु वर्तमान को देखते हुए यह कह सकते हैं कि यह प्रणाली बहुत ही अरुचि व सर्वाधिक उपेक्षा का विषय बन गई है जिसके कारण ग्राम पंचायत का संघटनात्मक स्वरूप आज भी नहीं बदला है यह संस्था संघटनात्मक रूप से किसी एक व्यक्ति के अधिपति वाली संस्था बनकर रह गई है। भारत के अधिकांश राज्यों में इन सदस्यों की यही स्थिति है कि ग्राम पंचायत में इन सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होने के बाद भी इनका सम्मान ना देकर दरकिनार कर दिया जाता है। जिस प्रकार से ग्राम प्रधान या सरपंच या मुखिया मतदान मतदाताओं द्वारा निर्वाचित होकर आता है और प्रधान या सरपंच या मुखिया कहलाता है इस तरह यह वार्ड के ग्राम पंचायत सदस्य भी चुनकर आते हैं वह अपने वार्ड का विकास अपने वार्ड के लोगों की समस्याओं का निराकरण उसकी जिम्मेदारी है परंतु वार्ड के सदस्यों को इस दायित्व का निर्वहन नहीं करने दिया जाता है। वार्ड के सदस्यों द्वारा गठित समितियां भी निष्क्रिय कर दी जाती हैं और सारी गतिविधियां फर्जी तरह से रजिस्टर में लिखकर पूर्ण कर ली जाती हैं और इन सदस्यों को शून्य समझ लिया जाता है।ग्राम पंचायत सदस्य संगठन की स्थापना इसीलिए की गई है जिससे देशभर की सभी ग्राम पंचायत से निर्वाचित ग्राम पंचायत के सदस्यों ग्राम पंचायत की समितियां के मान सम्मान व अधिकारों के प्रति इन सभी को उनके अधिकारों की लड़ाई मजबूती से लड़ेगी इसलिए ग्राम पंचायत सदस्य संगठन की स्थापना की गई है।
आप सभी सम्मानित ग्राम पंचायत सदस्य गढ़ इस मुहिम को बढ़ाने में अपना योगदान दें जिससे संगठन को मजबूती मिले। तो लिए हम सब मिलकर इस क्षण भ्रष्टाचार और इस व्यवस्था के खिलाफ एकजुट हूं और अपने अधिकारों की लड़ाई में एक मंच पर आए और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें जिससे इस इकाई को बचाया जा सके। आई साथियों संगठन को मजबूत बनाएं और अपना योगदान दें। आज ही संगठन से जुड़े और इस मुहिम को आगे बढ़ाएं।
हमारे देश की व्यवस्था लोकतांत्रिक है और लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार कोई व्यक्ति नहीं होता है बल्कि सरकार के रूप में संस्थाएं होती हैं। तो यहां भी सरकार के रूप में ग्राम सभा है जो एक संवैधानिक संस्था है जिसे निर्णय लेने का अधिकार है ठीक उसी प्रकार जैसे लोकसभा व विधानसभा को है। यह जो ग्राम पंचायत है जो चुने हुए सदस्यों की है जिनका चुनाव ग्राम सभा के मतदाता करते हैं एक शब्द में समझाइए ग्राम सभा विधायिका है और ग्राम पंचायत कार्यपालिका है। जो विधायिका है जिसमें सारे मतदाता हैं उसे कुछ नहीं पता आज तक यह कोई समझने नहीं आया है की ग्राम सभा क्या होती है और क्या अधिकार होते हैं। दूसरा यह जो ग्राम पंचायत होती है वह चुने हुए सदस्यों की होती है लेकिन हमारे प्रदेश या देश में जो चुने हुए सदस्यों की जो स्थिति है प्रधान या सरपंच या मुखिया को छोड़ दिया जाए तो यह जो सभी वार्ड सदस्य होते हैं उनकी स्थिति बहुत ही कमजोर वी दयनीय होती है। इन सभी सदस्यों में ना तो अपने पद के बारे में ना कोई जानकारी है ना समझ है ना ही कोई रुचि है इसका एक ही कारण है कि उनके सामने एक प्रकार की एक लाभ की तस्वीर पेश की गई थी तो इन सभी सदस्यों को यह लग रहा है कि मुझे कोई लाभ नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि उन सभी सदस्यों में कोई रुचि नहीं रह जाती है जबकि वास्तविक सच्चाई यह है कि जितनी भी शक्ति मिली है इन संस्थाओं को अर्थात ग्राम पंचायत को शक्ति है और ग्राम सभा को पावर है। सरपंच या मुखिया या प्रधान के पास किसी भी प्रकार का कोई भी भी विशेषाधिकार नहीं है किसी भी अधिनियम में कोई भी विशेष अधिकार नहीं दिया गया है। सर जो अधिकार है उन चुने हुए सदस्यों के पास है जैसे भारत में कैबिनेट के पास सारे अधिकार होते हैं हालांकि प्रधानमंत्री के पास कुछ विशेष राहत के अधिकार होते हैं लेकिन बिना कैबिनेट की मंजूरी के प्रधानमंत्री भी कुछ नहीं कर सकते हैं। जैसे आप सभी लोग देखते हैं हर सप्ताह कैबिनेट की मीटिंग होती है ठीक उसी प्रकार शक्ति उसे कैबिनेट के पास है ग्राम पंचायत के पास है और वही कागजी बनी हुई है। ग्राम पंचायत के पास कमेटियान होती हैं जैसे उत्तर प्रदेश में 6 समितियां होती हैं जिसमें दो समितियां का सभापति प्रधान होता है और चार समितियां का सभापति वह वार्ड का सदस्य होता है और जिसके द्वारा जिसे हम कहते हैं भ्रष्टाचार हो रहा है या गलत काम हो रहा है या जहां ठेकेदारी हो रही हो वह सब निर्माण कार्यों में हो रही है तो निर्माण समिति का जो सभापति होता है वह वार्ड का सदस्य होता है।प्रधान उस समिति का सदस्य भी नहीं होता है जो 6 सदस्य होंगे वह भी वार्ड के सदस्य होंगे कोई वार्ड के मेंबर ही होगा जो उसे समिति का सदस्य हो सकता है। हर महीने उसे उसकी बैठक होनी है और जितने निर्माण कार्य हो रहे हैं शासनादेश है सारा काम उसे निर्माण समिति के अधीन होगा उसका निरीक्षण करेगी मॉनिटरिंग करेगी वह समिति जब उसे सत्यापित यानी कि वेरीफाई करेगी तभी उसका भुगतान किया जाएगा। चाहे नरेगा का काम हो चाहे स्वच्छ भारत मिशन का हो चाहे किसी भी प्रकार का निर्माण से संबंधी कार्य होना हो। हालांकि कागज पर तो हो रहा होगा तभी तो भुगतान हो रहा है अधिकांश निर्माण समिति के सभापति को 90 से 95% सदस्य को पता ही नहीं होता है कि वह निर्माण समिति का सभापति है या नहीं है। तो यह जो जागरूकता का अभाव है संगठन विहीन है यही कारण है पंचायती राज में सबसे बड़ा दुर्भाग्य का कारण बना है सोचिए कि वार्ड सदस्य की क्या स्थिति होगी।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अभी तक इन सदस्यों के लिए ना ही कोई संगठन मजबूती के साथ इनके साथ खड़ा हुआ ना ही यह संघटनात्मक रूप से एकत्रित हुए। एक शब्दों में का लें तो यह जितने भी सदस्य हैं यह सभी संगठन विभिन्न रहे और इनमें जागरूकता का अभाव रहा। यही प्रमुख कारण है उनकी यह दैनिक स्थिति जो आज बनी हुई है।
लिए सभी साथियों ग्राम पंचायत सदस्य संगठन को मजबूत करें और अपना योगदान दें जिससे हमें न्याय हक अधिकार मिल सके और इस क्षण के विरुद्ध हम सभी एकजुट हो सके। तो लिए सभी एकजुट होकर एक संकल्प लें ग्राम पंचायत सदस्य एकता जिंदाबाद। ग्राम पंचायत सदस्य संगठन जिंदाबाद।।
पंजीकरण संख्या: SIT/07157/2024-2025
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